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इधर उधर भटकते हुए

इधर उधर भटकते हुए अब जाकर मंजिल के करीब तक पहुंचा हूं यहां तक पहुंचने में क्या क्या तकलीफ उठानी नहीं पड़ी खुशी इस बात की है देर से ही सही मंजिल मिल गई

मेरे दिल का कोना कोना रोशन है

 मेरे दिल का कोना कोना रोशन है तुम्हारे प्यार से तुम्हारे बदौलत जिंदगी गुजारते हैं शान से वरना हमारी औकात क्या थी इस जमाने में मैं भिखारी था राजा हुआ तुम्हारे प्यार के खजाने से