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मुलाकातों का सिलसिला

मुलाकातों का सिलसिला यूं ही रोज चलने दो प्यार को धीरे धीरे रोज बढ़ने दो एक क्षण की दूरी ना रहे चाहतों को हर पल करीब रहने दो

वह गुजरती रही

वह गुजरती रही बाहों में बाहें डाल कर मुझे पता न चल सका वह बेवफा हो गई हर वक्त प्यार भी करता रहा आंखों में आंखें डाल कर

प्यार करना चाहता हूं

प्यार करना चाहता हूं हर मोड़ पर मिलने का बहाना चाहता हूं हुस्न की मलिका हो प्यार का खजाना चाहता हूं

बड़ी शिद्दत से किया था मोहब्बत

बड़ी शिद्दत से किया था मोहब्बत ना जाने मेरे प्यार में क्या कमी रह गई सोचा था मुस्कुराएंगे जिंदगी भर उसके साथ रहकर मगर मेरे आंखों में नमी रह गई

लगा दो अपनी मोहब्बत का मरहम

लगा दो अपनी मोहब्बत का मरहम इस तरह तड़पा हूं हद से ज्यादा इसका एक ही इलाज है जी उठेंगे जो कह दो कि मुझसे प्यार है